विधवा महिला भी झोपड़ी मे काट रही दिन नहीं मिला आज तक आवास
सर्वे रिपोर्ट किस आधार पर किया गया कि गरीब महिला हुई अपात्र,जांच की बनी विषय
सिद्धार्थनगर.इटवा विकास खण्ड के ग्राम पिपरा छंगत मे एक महिला आवास के आस मे अपना जीवन यापन करने मे लगी है जहाँ एक तरफ सरकार गरीब परिवारों को आवास देती है लेकिन दूसरे तरफ एक महिला काफी दिनों से छप्पर के घर मे अपना जीवन यापन करती हैं वर्षों बीत गए लेकिन आज तक उस गरीब परिवार को आवास नहीं मिला महिला का आरोप है कि यहाँ ऐसे कई लोगों को आवास का लाभार्थी बना दिया गया जो वास्तव में इसके पात्र नहीं थे लेकिन सबसे बड़ी सोचने वाली बात यह है कि किस आधार पर ग्राम पंचायत का सर्वे रिपोर्ट तैयार हुआ कि इस गरीब परिवार को आवास से वंचित कर दिया गया वहीं इटवा खण्ड विकास अधिकारी ने बताया कि जांच करायी जायेगी जो पात्र मिलेगा उसका नाम दर्ज कराया जायेगा लेकिन दूसरे पहलू की बात करें तो खण्ड विकास अधिकारी ने यह नहीं बताया कि जो अपात्र थे अगर उन्हें आवास अगर मिला है तो विभागीय कार्यवाही होगी अब देखना यह होगा कि ऐसे लोग जो अपात्र है उनके ऊपर कार्यवाही होगी या फिर लीपापोती सरकार के अथक प्रयास करने के बाद भी ऐसे गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री आवास से वंचित किस प्रकार किया गया क्या सर्वे रिपोर्ट में ऐसे गरीब परिवारों का नाम किस आधार पर छोड़ दिया गया जहां एक तरफ केंद्र और प्रदेश सरकार लगातार गरीब परिवारों की सहायता के लिए तरह-तरह की योजनाएं संचालित करती है जिससे गरीब परिवारों को इधर-उधर न भटकना पड़े लेकिन यहां तो कुछ अलग ही नजारा दिखाई देता आ रहा है वही जो लाभार्थी परिवार आवास के लिए अपनी आप को लगाकर बैठा है कि शायद कभी हमें भी आवास मिल जाए ऐसे गरीब परिवारों का नाम क्यों नहीं डाला गया वहीं पीड़ित महिला के द्वारा बताया गया कि हमारे पास रहने की कोई व्यवस्था नहीं है छापर का घर है जब कभी काफी बरसात होती है तो घर में रहने की व्यवस्था ही नहीं रहती है ऐसे परिवारों को आवास से वंचित ग्राम पंचायत सचिव व प्रधान के मिली भगत के कारण नाम छोड़ दिया गया जिसके पास रहने के लिए घर नहीं है वही मिली जानकारी के अनुसार पता लगा कि वह व्यक्त दूसरे के घर पर जीवन यापन करता है अब देखना यह होगा कि खंड विकास अधिकारी इटवा के द्वारा जांच कर क्या ऐसे गरीब परिवारों को आवास की श्रेणी में रखेंगे या फिर पत्र के ऊपर क्या कार्यवाही करेंगे जो आवास के लाभार्थी नहीं थे इसके बाद ही उन्हें आवास दे दिया गया है