ग्राम पंचायत के विकास का आधार क्या
सिद्धार्थनगर जिले में इस समय मनरेगा श्रमिकों की हालात ऐसी हो गयी है कि विकास तो होना नहीं है लेकिन मनरेगा श्रमिकों की उपस्थिति में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है सरकार के धन का ऐसी लूट-खसोट का माहौल बना लिया गया कि बिना कार्य के फर्जी वर्क आईडी पर मनरेगा श्रमिकों को चलाया जा रहा है नया फोटो नहीं तो पुराने फोटो पर काम लगा दिया गया जबकि वृक्षारोपण का एक समय होता है लेकिन यहां तो वर्ष के बारह महीनों वृक्षारोपण होता है अब सबसे बड़ी सोचने वाली बात यह कि अगर ऐसे ही ग्राम पंचायत में काम होगा फिर विकास कैसे होगा
आज हम बात कर रहे हैं ग्राम पंचायत इटवा विकास खण्ड के लमुइया का जहां वृक्षारोपण के नाम पर 37 मनरेगा श्रमिक सामुदायिक स्थल पर वृक्षारोपण करते दिखाया गया मौके पर कोई श्रमिक नहीं मिले बात एक फर्जीवाड़े की नहीं है दूसरी तरफ ध्यान आकृष्ट करना चाहते है दूसरी ओर सामुदायिक शौचालय का है जहां टाइल्स भी टूटा है लेकिन ग्राम प्रधान को ग्राम पंचायत के विकास के तरफ कोई नजर नहीं पड़ती नजर आ रही है ग्राम प्रधान के द्वारा स्वयं बताया गया कि आज कोई वृक्षारोपण का समय नहीं है फिर फर्जी हाजिरी क्यों लगाया जा रहा है इसमें कहीं न कहीं विकास खण्ड के चंद कर्मचारियों के मिलीभगत से ऐसा हो रहा है लेकिन अगर मनरेगा श्रमिकों के साथ इस तरह से ग्राम पंचायतों में खिलवाड़ किया जा रहा है जहां एक मनरेगा श्रमिक को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने की दावा किया जा रहा है लेकिन यहां तो सिर्फ दिखावा साबित हो रहा है मनरेगा श्रमिकों की फर्जी हाजिरी लगाकर भुगतान करना लिया जाता है लेकिन श्रमिकों तक उनके हक का काम नहीं मिल पाता है अब विकास की धुरी ग्राम पंचायतों में उल्टा घूमता दिखाई देता नजर आ रहा है अब ग्राम पंचायतों के जांच की क्या प्रतिक्रिया आयेगी या फिर ऐसे ग्राम पंचायत में लूट-खसोट चलता रहेगा ग्राम प्रधान ने सीधे तरीके से किया इंकार कहा कि आज कैसे होगा वृक्षारोपण वहीं ग्राम पंचायत सचिव इटवा मनोज कुमार ने बताया पहले पौधे का उठान हुआ था लेकिन आईडी नहीं बनी थी अपनी बचाव करते हुए उन्होंने बताया कि अब वृक्षारोपण कैसे हो रहा है मैं इसे जीरो कर दूंगा लेकिन सबसे बड़ी सोचने वाली बात यह होगी कि ग्राम पंचायत सचिव के द्वारा क्या कभी उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती है कि ग्राम पंचायत का निरीक्षण करें या उनका दायरा ब्लाक तक ही सीमित रहता है आखिर एमबी किस आधार पर बना