ग्राम पंचायतों पर बीडीओ की नहीं पड़ रही नजर

अगर ग्राम पंचायत का होता निरीक्षण तो ऐसे भ्रष्टाचार नहीं होता

सिद्धार्थनगर इटवा विकासखंड के ग्राम पंचायत छगड़िहवा में मनरेगा कार्यो में जमकर धांधली किया जा रहा है जहां एक तरफ केंद्र और प्रदेश सरकार लगातार मनरेगा श्रमिकों को 100 दिन का रोजगार देने का काम करती है तो दूसरी तरफ ग्राम प्रधान के द्वारा खंड विकास अधिकारी की नजर अंदाज करने में लगे हुए हैं सरकार की ऐसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को लेकर के ग्राम प्रधान के द्वारा मनरेगा श्रमिकों के हक पर अपना मालिकाना हक़ जमा कर बैठ गये है जहां क्राप फोटो पर मनरेगा श्रमिकों की हाजिरी लगायी जा रही है मनरेगा एक्ट के अनुसार साफ सुथरा फोटो साइट पर अपलोड होना चाहिए लेकिन यहां तो गजब का खेल है जहां मनरेगा श्रमिकों की फोटो ही विलुप्त दिखाई देती नजर आ रही है तकनीकी सहायक व एपीओ के द्वारा शायद कभी भी ग्राम पंचायत का निरीक्षण किये है या नहीं सबसे बड़ी सोचने वाली बात यह होगी कि किस आधार पर एमबी रिपोर्ट तैयार किया गया या सिर्फ दिखावा है अगर ऐसे मनरेगा श्रमिकों के द्वारा क्राप फोटो पर काम कराया गया तो विकास शून्य होगा तीन वर्क आईडी पर 95 मनरेगा श्रमिकों की उपस्थिति क्राप फोटो पर संचालित है औसतन अगर एक दिन की अगर श्रमांश निकाला जाये तो 22515 रूपए होगा जिससे साफ तौर पर देखा जाये तो लाखों रूपए के गोलमाल के फिराक में ग्राम प्रधान है अब ऐसे ग्राम पंचायतों का बीडीओ द्वारा निरीक्षण होगा या सरकारी धन का बंदरबांट जहां तीन वर्क आईडी पर काम संचालित किया जा रहा है

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