सिद्धार्थनगर बृजेश पाण्डेय..विकास खण्ड इटवा के ग्राम पंचायत भावपुर में क्राप फोटो के सहारे मनरेगा श्रमिकों की उपस्थिति लगाने में ग्राम पंचायत स्तर के कर्मचारियों ने थोड़ी सी कोर कसर छोड़ते नहीं है
जहा एक तरफ मनरेगा गाइडलाइंस के अनुसार जो आनलाइन हाजिरी लगायी जा रही है साफ-सुथरी फोटो लगाने का प्रावधान है जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार गरीब परिवारों को 100दिन का रोजगार मुहैया कराने की दावा करती है तो यहां ग्राम प्रधान सचिव तकनीकी सहायक व ग्राम पंचायत स्तर पर जो मनरेगा श्रमिकों की उपस्थिति लगाते हैं सबसे बड़ी मिलीभगत का खेल है सरकार के ऐसे महत्वाकांक्षी योजनाओं पर किसी भी अधिकारी की नजर नहीं पड़ती है या फिर नजर अंदाज कर रहे हैं जब ग्राम पंचायतों के निरीक्षण व ग्राम पंचायत स्तर के काम का निरीक्षण ग्राम पंचायत सचिव को मिला है तो किस आधार पर मनरेगा कार्यों की हाजिरी देखी जा रही है या फिर संलिप्तता है महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के द्वारा जो कार्य गरीब परिवारों को मिलनी चाहिए लेकिन उन्हें न मिलकर क्राप फोटो ने ले लिया क्योंकि अगर मनरेगा श्रमिकों को काम दिया जाता तो ग्राम प्रधान के खाते में पैसा कहां से जाता लेकिन यहां ग्राम प्रधान के द्वारा मनरेगा में ऐसे व्यक्तियों को चुना गया जिन्हें 100/200 रूपए देकर शेष धनराशि प्रधान के खाते में जाता है बीडीओ के द्वारा अगर थोड़ी सी निरीक्षण अगर क्षेत्र में किया गया होता तो ऐसे ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार शायद पनपता नहीं क्योंकि यहां तो विभागीय अधिकारी आफिस छोड़कर ग्राम पंचायतों की तरफ जाना ही नहीं चाहते सिर्फ ग्राम प्रधान के बातों पर भरोसा करके व आंख बंद कर भुगतान कर देते है आखिर जो तकनीकी सहायक के द्वारा एमबी किया गया किस आधार पर हुआ जहां आनलाइन हाजिरी क्राप फोटो पर आधारित है क्या अब ऐसे में खण्ड विकास अधिकारी इटवा क्या जांच करते हैं या सिर्फ ऐसे चलता रहेगा