कुबेर का खजाना बना मनरेगा योजना

बृजेश पाण्डेय

सिद्धार्थनगर खुनियांव ब्लाक के अन्तर्गत ग्राम पंचायत मानादेई में इस समय ग्राम प्रधान सचिव की मिलीभगत का खेल जमकर खेला जा रहा है जहां एक तरफ केंद्र व प्रदेश सरकार मनरेगा श्रमिकों को 100 दिन का रोज़गार देने की दावा करती हैं तो दूसरी तरफ यहां तो क्राप फोटो से जब लाखों रूपए की कमाई हो जाये फिर ग्राम पंचायत में काम करने की क्या जरूरत है अब तो कई ग्राम पंचायतों में मिशाल कायम हो रहा है कि जब ब्लाक स्तरीय कर्मचारी जब आपत्ति जताते नहीं तो फिर काम हो या न हो जितना कमाई कर सको उतना ही बेहतर है इसलिए खुनियांव ब्लाक के खण्ड विकास अधिकारी के द्वारा शायद आज तक ऐसे ग्राम पंचायतों का कभी निरीक्षण नहीं किये होंगे इसलिए ग्राम पंचायतों में लोगों के हौसले बुलंद हो रहे हैं यही कारण है कि आज कल ग्राम पंचायतों का विकास कागजों में सिमट कर रह जाता है क्योंकि जब कुबेर का खजाना मिल रहा है फिर कौन जाये काम करने जहां ब्लाक स्तरीय कर्मचारी व अधिकारी निष्क्रिय हो जाते हैं तो ऐसे ब्लाक में ग्राम पंचायतों की स्थिति शायद यही होती होगी खुनियांव ब्लाक में मानादेई ग्राम पंचायत की स्थिति आज यही देखने को मिलती हैं जहां दो वर्क आईडी पर 107 मनरेगा श्रमिकों की हाजिरी क्राप फोटो पर संचालित हो रही है लेकिन यहां सचिव से लेकर बीडीओ महोदय की नजर नहीं पड़ रही है या फिर नजर अंदाज किया जा रहा है जहां सरकार के लाखों रूपए का फर्जी भुगतान होगा अगर खुनियांव ब्लाक के ग्राम पंचायतों का निरीक्षण हो तो सरकारी धन का लाखों रूपए के गोलमाल की पोल खुलेगी

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