परिश्रम सफलता की कुंजी है

सिद्धार्थनगर
परिश्रम ही सफलता की कुंजी है और सही दिशा में किया गया परिश्रम ही भाग्य का दूसरा रूप है इस मूल मंत्र को जिसने जान लिया सफलता उसके कदम चूमती है और जो जानकर भी अनजान बना रहता है उसके हिस्से में किस्मत को कोसना और लोगों से सिंपैथी बटोरना ही रह जाता है जिसके दर्जनों उदाहरण है ।ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के आकांक्षी जनपद सिद्धार्थनगर में देखने को मिल रहा है औद्योगिक रूप से शून्य जनपद सिद्धार्थनगर में बढ़ती आबादी के सापेक्ष सिमटते रोजगार, बढ़ती मंहगाई और घटती प्रति व्यक्ति आय के कारण लोगों की दुश्वारियां दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है सरकार के हर संभव प्रयास के बावजूद जीवन यापन के लिए लाखों लोगों का पलायन होता है जो साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। इसी करण नीतिआयोग और सरकारी आंकड़े में जनपद पिछड़ेपन की श्रेणी में आकांक्षी जनपद बना हुआ है । लेकिन जहां जनपद वासी पिछड़ेपन का रोना रोते रहते हैं वहीं अन्य जनपद और प्रदेशों से आकर लोग कामयाबी के झण्डे गाड़ते हुए एक उदाहरण पेश कर रहे हैं और मेहनत एवं तकनीक के सहारे लेवर अण्डर करेक्ट नालेज को चरितार्थ कर रहे हैं । देखिए एक रिपोर्ट।

वीओ-
वैसे तो सिद्धार्थनगर समूचा जनपद बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में आता है और लगभग हर दूसरे वर्ष जनपद का सत्तर प्रतिसत हिस्सा बाढ़ से प्रभावित होता है जो किसानो के लिए बड़ी समस्या है लेकिन उसी के साथ यहां की मिट्टी और मौसम खेती किसानी के लिए किसी वरदान से कम नही जो हर प्रकार के फसल के बेहतर उपज के लिए मुफीद है बस जरूरत है मेहनत और तकनीक की । यह सिद्धार्थनगर का बांसी तहसील क्षेत्र है इस समय रवी फसल के बुवाई का सीजन चल रहा है जनपद के लोग जैसे तैसे गेंहू की फसल लगाकर इतिश्री कर लेते हैं लेकिन आप देख सकते है एक बड़े भूभाग में सब्जी लगी हुई है जो बरेली से आए लोगों ने लगा रखी है और अपनी परिश्रम की बदौलत कई वर्षों से जिले में सब्जी की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं मुख्य तो यह है कि जिस जमीन को यहां के किसान बेकार घोषित कर चुके हैं उसी जमीनों में यह लोग सब्जी की फसल लगाकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं साथ ही रसायनिकखाद और पेस्टीसाइड का उपयोग न करके पारम्परिक गोबर की खाद का उपयोग कर रहे हैं जो हर प्रकार से बेहतर और व्यवसायिक खेती में अधिक लागत की मिथक को सिरे से खारिज करता है । इससे यह साफ जाहिर होता है कि जनपद वासी मेहनत की बजाय बहानेबाजी से काम चलाते हैं और मेहनत करने वाले पर्वत से भी रास्ता निकाल लेते ह

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